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Dhanteras Par Kharidein Ye saman jo Aapke Liye Subh Hoga

धनतेरस पर क्या खरीदें जो आपके लिए शुभ होगा धनतेरस पर क्या खरीदें जो आपके लिए शुभ होगा धनतेरस का महत्व धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है, दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन स्वास्थ्य और समृद्धि से जुड़ी वस्तुओं की खरीदारी शुभ मानी जाती है। धनतेरस 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त धनतेरस 2025 में शनिवार, 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह दिन दीपावली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है और इसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। 🔔 शुभ मुहूर्त (Puja Muhurat) धनतेरस पूजा मुहूर्त: शाम 07:12 बजे से 08:16 बजे तक प्रदोष काल: 05:45 PM से 08:16 PM वृषभ काल (स्थिर लग्न): 07:12 PM से 09:07 PM तक पूजा का महत्व इस दिन भगवान धन्वंतरि , माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा की जाती है। यह दिन स्वास्थ्य, धन और समृद्धि क...

पितृ पक्ष 2025: कब है, क्या करें और क्या न करें Pitra Paksh kab hai 2025 aur kya kare aur na kare

पितृ पक्ष 2025: कब है, क्या करें और क्या न करें?

पितृ पक्ष कब है और क्या करें पितृ पक्ष पर? (2025 के लिए सम्पूर्ण गाइड)

पितृ पक्ष करने से क्या होता है?

पितृ पक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस 16 दिवसीय अवधि में पितृ लोक के द्वार खुलते हैं और पितरों की आत्माएं पृथ्वी पर आती हैं। यदि इस समय विधिपूर्वक श्राद्ध कर्म किया जाए, तो पितृ दोष समाप्त होता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

पितृ पक्ष में किए गए तर्पण और दान से आत्मा को अगला शरीर प्राप्त करने में सहायता मिलती है और मोक्ष की ओर गति होती है। यह कर्म केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम है। जो व्यक्ति पितृ पक्ष में श्राद्ध नहीं करता, उसकी कुंडली में पितृ दोष उत्पन्न हो सकता है, जिससे जीवन में बाधाएं आती हैं।

इसलिए पितृ पक्ष में श्राद्ध करना न केवल आत्मिक शांति के लिए आवश्यक है, बल्कि यह परिवार की उन्नति और सकारात्मक ऊर्जा के लिए भी अत्यंत लाभकारी है।

पितृ पक्ष 2025 की तिथियाँ

श्राद्ध तिथिदिन
पूर्णिमा श्राद्ध7 सितम्बर
प्रतिपदा श्राद्ध8 सितम्बर
द्वितीया श्राद्ध9 सितम्बर
तृतीया श्राद्ध10 सितम्बर
चतुर्थी श्राद्ध10 सितम्बर
पञ्चमी श्राद्ध11 सितम्बर
षष्ठी श्राद्ध12 सितम्बर
सप्तमी श्राद्ध13 सितम्बर
अष्टमी श्राद्ध14 सितम्बर
नवमी श्राद्ध15 सितम्बर
दशमी श्राद्ध16 सितम्बर
एकादशी श्राद्ध17 सितम्बर
द्वादशी श्राद्ध18 सितम्बर
त्रयोदशी श्राद्ध19 सितम्बर
चतुर्दशी श्राद्ध20 सितम्बर
सर्वपितृ अमावस्या21 सितम्बर

पितृ पक्ष क्या है?

पितृ पक्ष हिंदू धर्म में एक विशेष काल होता है जब हम अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं। यह 16 दिनों की अवधि होती है जिसमें हर दिन किसी विशेष तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है।

पितृ पक्ष में क्या करें?

  • श्राद्ध कर्म: ब्राह्मण भोज, पिंडदान, दक्षिणा
  • तर्पण: तिल, कुशा, जल से सूर्य की ओर मुख करके
  • दान-पुण्य: अन्न, वस्त्र, फल, गौ सेवा
  • सात्विक भोजन: प्याज, लहसुन, मांस-मछली से परहेज़
  • ध्यान और जप: “ॐ पितृभ्यः नमः” मंत्र, गीता पाठ

पितृ पक्ष में क्या न करें?

  • बाल और नाखून न काटें
  • कोई नया कार्य न शुरू करें
  • तामसिक भोजन न करें
  • झूठ बोलने और अपमान से बचें
  • यात्रा से परहेज़ करें

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

पितृ पक्ष कब शुरू होता है?
7 सितम्बर 2025 से शुरू होकर 21 सितम्बर को समाप्त होगा।
पितृ पक्ष में क्या करना चाहिए?
श्राद्ध, तर्पण, ब्राह्मण भोज, दान और सात्विक जीवनशैली अपनानी चाहिए।
क्या पितृ पक्ष में बाल काट सकते हैं?
नहीं, यह वर्जित माना गया है।
क्या पितृ पक्ष में मंदिर जा सकते हैं?
हाँ, मंदिर जाना शुभ होता है लेकिन तीर्थयात्रा से बचना चाहिए।
क्या पितृ पक्ष में शादी या नया काम शुरू कर सकते हैं?
नहीं, कोई भी मांगलिक कार्य इस अवधि में नहीं करना चाहिए।

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